नमस्कार मित्रों , आज कल हम सब देखते है कि जब भी किसी वस्तु ,स्तिथि या घटना पे धर्म का विषय आता है तो लोग लोग कहते है ये देश संविधान से चलेगा और ऐसा होना भी चाहिए संविधान ही किसी देश की नीति और नियम में सभी के कार्यक्षेत्र को वर्णन होता है और सब की सीमा भी निर्धारित करता है जो कि एक स्वस्थ समाज के विकाश के लिए अत्यं आवश्यक है हम सब ने देखा है और देखते है कि जब भी कोई मंत्रि विधायक संसद और भी कोई भी प्रशानिक या सेवा पद की सपथ लेता है तो वो बोलते है मैं ईष्वर की सपथ लेता हूँ । जब कोई व्यक्ति न्यायालय में अपनी बात रखता है तो बोलते है कि मैं गीता पे हांथ रख के ये सपथ लेता हूँ जो कहूंगा सत्य कहूंगा ये देश संविधान के नियम कानून से चलता है . इसलिए सपथ लेते समय बोलना चाहिए कि मैं संविधान की सपथ लेता हूँ या लेती हूँ किंतु ऐसा नही होता है आप को ये पोस्ट कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया अवस्य दें. ये पोस्ट किसी भी धर्म और संविधान का अपमान या निंदा नही करता न ही ऐसा कोई भी उद्देश्य रखता है ये एक सामान्य प्रकिया है