गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।
हम सब जानते है की बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता है , आपको महाभारत का वो एकलव्य तो याद ही होगा , जो गुरु द्रोणाचार्य की प्रतिमा बना के उनको देख देख के धनुर्विद्या में निपुण हुआ था । आग गुरु शिक्षक के रूप में हमारे पास है उनकी जितनी भी प्रसंसा की जय कम है गुरु के विषय उनकी महत्ता के विषय में जितना भी कहा जाय कम है । समय समय पे बहुत कुछ लिखा और बताया गया है प्रस्तुत है गुरु के सम्बन्ध में कुछ श्लोक और दोहे हिंदी व्याखया के साथ ======================================================= गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा । गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः ।। अर्थात : गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं। ========================================================= गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।। अर्थात : गुरु और गोविन्द यदि दोनों खड़े है तो किसे पहले चरणस्पर्श करना चाइये I ...