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Showing posts from April, 2022

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम।। चरण स्पर्श और नमस्कार

  चरण स्पर्श हमें अपने से बड़े  परिजनों , संतों , ऋषियों , माता पिता के पैर  क्यों  छूने  चाहिए  ? सनातन धर्म या हिन्दुओं में चरण स्पर्श कलांतर से लोग आज तक चल रहा  है और ये अभिवादन की एक पद्धति है जैसे अन्य में लोग अपने सर को झुकाते है (जापान में) हाँथ मिलते है (इंग्लिश देश में ) , अपने हाँथ को सर के तरफ उठा के ( इस्लाम में ) , भारतीय लोग सदियों से चरण स्पर्श और नमस्कार ये दोनों पद्धिति अपनाते आ रहे है I    हमारे धर्म शास्त्रों में अभिवादन करने के कुछ लाभ बताये गए है जो इस श्लोक में है  अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम।। अर्थार्थ  जो व्यक्ति सुशील और विनम्र  होते हैं, बड़ों का अभिवादन व सम्मान करने वाले होते हैं तथा अपने बुजुर्गों की सेवा करने वाले होते हैं। उनकी आयु, विद्या, कीर्ति और बल इन चारों में वृद्धि होती है। धार्मिक महत्व  जब हम चरण को स्पर्श करते  है. तो  ऐसी मान्यता है कि इससे उस पूजनीय व्यक्ति की सकारात्मक ऊर्जा आशीर्वाद के रूप में हमारे...

झारखंड के प्रमुख जलप्रपात का नाम Fountains of Jharkhand

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  Fountains of Jharkhand  झारखंड के प्रमुख जलप्रपात का नाम जलप्रपात का नाम हुंडरू जलप्रपात-   रांची दशम जलप्रपात- रांची जोन्हा या गोतमधारा जलप्रपात – रांची बुढाघाघ जलप्रपात-   लातेहार मिर्चिया जलप्रपात – लातेहार घाघरी जलप्रपात- लातेहार नागफेनी जलप्रपात- गुमला प्रेमा घाघ- गुमला- गुमला हेसातु जलप्रपात- गुमला पंचगढ़ जलप्रपात- खूंटी पंचघाघ जलप्रपात- खूंटी डुमेर सुमेर जलप्रपात- चतरा तामासीन जलप्रपात- चतरा गोवा जलप्रपात- चतरा सतवागन जलप्रपात- कोडरमा धरागिरि जलप्रपात-   घाटशिला घरघरिया जलप्रपात-   लोहरदगा मोतीझरा जलप्रपात- साहेबगंज उसरी जलप्रपात- गिरिडीह मोतीझरा जलप्रपात-   राजमहल पहाड़ी रजरप्पा जलप्रपात- रामगढ़ हिरनी जलप्रपात पश्चिमी सिंहभूम

शिव रूद्राष्टकम- नमामीशमीशान निर्वाण रूपं

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                                        शिव रूद्राष्टकम- नमामीशमीशान निर्वाण रूपं

All schools in odisha to remain closed from 26th April to 30th April 2022

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  As per government notification that all schools in Bhubaneswar will be closed from  April 26th to April 30th  Here is the notification 

ॐ जय शिव ओंकारा शंकर जी की आरती Shiv Shankar Ji Ki Aarti

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ॐ नमः शिवायः भगवान भोलेनाथ , आदिदेव शिवशंकर की विधिवत पूजा अर्चना   करने के उपरांत शिव जी की आरती अवश्य करनी चाहिए ये हम  सब भली भांति से अवगत है तो आइये सदा शिव की आरती करते है  जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव  ओंकारा ॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी । चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव  ओंकारा ॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव  ओंकारा  ॥ कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता । जग कर्ता जग हरता  जग पालनकर्ता ॥ ॐ जय शिव  ओंकारा ॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव  ओंकारा ॥ त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे । कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव  ओंकारा ॥ जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा| ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धा...

श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम् Shri Ramashtakam Stotram

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  श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम्  शिवहरे शिवराम सखे प्रभो,त्रिविधताप-निवारण हे विभो। अज जनेश्वर यादव पाहि मां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥ १ ॥ कमल लोचन राम दयानिधे,हर गुरो गजरक्षक गोपते। शिवतनो भव शङ्कर पाहिमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥ २ ॥ स्वजनरञ्जन मङ्गलमन्दिर,भजति तं पुरुषं परं पदम्। भवति तस्य सुखं परमाद्भुतं,शिवहरे विजयं कुरू मे वरम् ॥ ३ ॥ जय युधिष्ठिर-वल्लभ भूपते,जय जयार्जित-पुण्यपयोनिधे। जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तुते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥ ४ ॥ भवविमोचन माधव मापते,सुकवि-मानस हंस शिवारते। जनक जारत माधव रक्षमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥ ५ ॥ अवनि-मण्डल-मङ्गल मापते,जलद सुन्दर राम रमापते। निगम-कीर्ति-गुणार्णव गोपते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥ ६ ॥ पतित-पावन-नाममयी लता,तव यशो विमलं परिगीयते। तदपि माधव मां किमुपेक्षसे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥ ७ ॥ अमर तापर देव रमापते,विनयतस्तव नाम धनोपमम्। मयि कथं करुणार्णव जायते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥ ८ ॥ हनुमतः प्रिय चाप कर प्रभो,सुरसरिद्-धृतशेखर हे गुरो। मम विभो किमु विस्मरणं कृतं,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम् ॥ ९ ॥ नर हरेति परम् ज...